मुझे है उनसे चाहत, उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं,
देखते ही मैं बह गया जज्बातो में,
खो गया मैं उनकी सभी बाते में,
करता रहा मैं ईबादत, उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं,
देखता रहता था हरदम नीगाहो में,
ले लेता था तस्वीर हरदम बाहों में,
कैसे माँगू मैं इजाजत, उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं
क्या होगी मजबूरी कोई नही जानता,
दिमाग मान भी ले ये दिल नही मानता,
कैसे करूँ मैं शिकायत,उसने कभी चाहा नहीं,
कैसे करूँ मैं मुहब्बत, उसने कभी चाहा नहीं !
नीशीत जोशी
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उसका नाम लिख- लिख कर मिटाना भूल जाता हूँ
उसको जब याद करता हूँ, भुलाना भूल जाता हूँ
बहुत सी बातें ऐसी है जो मेरे दिल में रहती है
मगर जब उस से मिलता हूँ, सुनाना भूल जाता हूँ
उसके बाद हर पल अब मुश्किल से कटता है
मैं अक्सर उसको ख्वाबों में बताना भूल जाता हूँ
मैं हर शाम कहता हूँ कि उस को भूल जाऊंगा
मगर जब सुबह होती है तो भुलाना भूल जाता ह.
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देख सके तो देख ले बेवफा,
मेरी जींदगी आज श्मशान बन गई,
सजा मिली है प्यार मैं कसूर बेगूनाही था,
वफा कि थी मगर कसूर बेवफा ही था ा
बेगानो से प्यार की गुंजाइश नही होति,
मोत के बाद कोइ ख्वाइश पुरी नहि होती,
शायद कोइ प्यार भरा दिल टूटा जरुर होगा,
वनॉ मार्च मे कभी बारिश नही होती !
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लोग अक्सर कहते हैं
जिन्दा रहे तो फिर मिलेगे।
मगर एक सच्चे दोस्त ने क्या खूब कहा हैं
की मिलते रहेगे तो जिन्दा रहेगे
जिन्दा रहे तो फिर मिलेगे।
मगर एक सच्चे दोस्त ने क्या खूब कहा हैं
की मिलते रहेगे तो जिन्दा रहेगे
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तेरी गलियो मे आने जाने से..........
दुश्मनी हो गयी थी जमाने से............
शौक-ए-दिदार दे रहा है शदा..........
लौट आ किसी बहाने से.......
दुश्मनी हो गयी थी जमाने से............
शौक-ए-दिदार दे रहा है शदा..........
लौट आ किसी बहाने से.......